कोई इतना खडूस भी हो सकता है ये उन महाशय को देख के ही समझा जा सकता है.......कभी कभी लगता है कुछ शब्द कुछ खास लोगों के लिए ही बनाये जाते हैं तो ये शब्द भी उनके लिए ही गढ़ा गया है.......उन्ही के लिए इज़ाद किया गया है..... मुस्कराहट जैसी चीज उनके चेहरे पर कभी नहीं दिख सकती....या शायद कुछ बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली लोग होंगे , जिन्हे ये देखने का सु अवसर मिला हो कि वे कभी मुस्कुराते भी होंगे...... उनकी .हंसी तो किसी विभूति या अवतार को ही दिख सकती है , हमारे जैसे साधारण जन को कभी नहीं.....
हमेशा तने रहो , अकड़ कर चलो , और बोलो भी तो ऐसे कि फूल नहीं कांटे झड़ रहे हो......और कुछ भी बोलो तो ऐसे जैसे सामने वाले पर अहसान लाद रहे हों.......और वो आपके सुमधुर (!) वचन सुनकर कहीं कृतार्थ न हो जाये..... मुझे लगता है ऐसे लोग किसी तरह के गुमान में नहीं जीते ,.... बल्कि इस तरह से अपने को जीवन में ढाल लेते हैं . कि वो वक़्त के साथ उनके व्यक्तित्व में झलकने लगता है....हर समय अपने चेहरे पर एक भारीपन और गम्भीरता का लबादा ओढ़े रहने वाले ये लोग , क्या सोचते हैं ?...क्या महसूस करते हैं ?.... और कब किस बात पर किस तरह से रिएक्ट करते हैं ... अनुमान लगाना मुश्किल है.... उनकी हर बात से यही महसूस होता है जैसे ये सारी दुनिया से नाराज़ हैं ....कोई भी बात इन्हे प्रसन्न नहीं कर सकती ..... सारी दुनिया इनके जूते की नोंक पर है..... और .... .यदि इनकी बातो का कोई प्रति उत्तर देने का साहस कर ले तो ,उस से बड़ा नाचीज कोई नहीं........ भले ही खुद किसी लायक न हों पर किसी को प्रसन्न या फलता फूलता नहीं देख सकते.... कोई यदि किसी बात पर खुश है तो जरूर
कोई न कोई गलत बात ही होगी ऐसा इनका मानना होता है..... जाहिर सी बात है ऐसे लोग इतने सेल्फ सेंटर्ड होते हैं कि अपने नजदीक , अपने करीबियों को भी नहीं आने देते हैं..... ऐसे लोग सज्जनता और विद्वता का आवरण ओढ़े रहते हैं........ बड़ी बड़ी समाज सुधारक और , समाज को बदल डालो ,टाइप की संस्थाओं से जुड़े रहते हैं... जब कि सच्चाई में ऐसा कुछ नहीं है, ये बेहद पुरातन पंथी....और हम नहीं बदलेंगे ( सुधरेंगे) टाइप के होते हैं ...दुनिया चाहे कहीं से कहीं चली जाये ये उसी सड़ियल और दकियानूस दायरे से बाहर नहीं निकल सकते......बाहर से ये खुद को कितना भी उदारवादी और दरियादिल दिखलायें ...... .पर सच कहूँ तो अंतर्मन से बहुत ही निकृष्ट होते हैं.......उन्हें शायद प्रकृति ने ही ऐसा बनाया है कि उन्हें अपने सिवा कोई पसंद ही नहीं ,,,,, और अपने सिवा किसी की ख़ुशी से कोई लेना देना नहीं .....न ही किसी के मान सम्मान की कोई फिकर ... .पता नहीं क्यों ऐसे हैं वो.... .........
बहुत ही सुंदर !!!
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