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Monday, December 20, 2021

😔😔

जब वक्त पडे़ या मिले  
तब रो लेना चाहिये।
चीख लेना चाहिये ,
वरना ये रूदन
 कभी अट्टहास बन फूट पड़ता है 
बता देना चाहिये किसी को.... 
जो अपना हो. 
किसी भी तरह 
कि ये पीड़ा असहनीय है।
पर हम वक्त पर रोते कहाँ हैं?

सोचते हैं ..
अभी रोने का वक्त नहीं 
अभी ये करना है 
वो करना है..
मजबूत दीवाल की तरह खड़े रहना है अटल.... 
नहीं समझ पाते 
कि ये पीड़ा, ये दर्द, दीमक बन जाते हैं 
और खा जाते हैं धीरे -धीरे 
हमारी बेवक्त बेफिक्र वाली हँसी को...... 

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