काश !!!!
कभी कभी सोचती हूँ कि काश !!! सुबह सो के उठूँ ...और शीशे में देखूं कि एक दम दुबली पतली..खूबसूरत हो गई हूँ....बाल फिर पहले के जैसे काले और कमर तक लम्बे हो गए हों......सारे धर दिए गए कपडे ...फिर से अँटने लगे .....कोई भी चीज खाते वक़्त ये ख़याल न आये कि कितनी केलोरी खा रही हूँ...... हाथ रोकने की जरूरत न पड़े...खाने की इच्छा होते हुए भी मन मसोस कर न रह जाना पड़े......दौड़ दौड़ कर सारे काम निबटा डालूँ.........खूब पोज़ मार मार कर ढेर सारी फोटोज.....सेल्फ़ी ले डालूँ.......:( :( :(...पर वही है न काश !!!!
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