अभी अभी अपने एक फेसबुक मित्र श्री अरविन्द भट्ट जी का स्टेटस देखा....."आज क्या बनाऊँ " ??.उसी सिल सिले को आगे बढ़ाते हुए......कुछ लिखने को मन हो आया है....सचमुच ये दुनिया भर में पूछा जाने वाला ....और सच कहूँ तो सबसे ज्यादा पकाऊ प्रश्न है.....और जिसका जवाब भी बिलकुल निश्चित है जो १०० में से ९० पति अपनी पत्नियों के देते हैं....कुछ भी बना लो.....मतलब अहसान जताते हुए जैसे वो कुछ भी खा लेने को तैयार हैं.....बस पत्नी बना के दे दे.....जब कि अगर इसकी गहराई में जा के देखा जाये तो १०० में से ५० पत्नियां तो इस प्रश्न के प्रत्युत्तर में सुनना चाहती हैं....चलो आज कहीं बाहर चल के खाते हैं.......या बाहर से कुछ मंगवा लेते हैं......रोज रोज वही प्रश्न...रोज रोज वही जवाब..... ..ना पूछने वाला ऊबता है.....ना जवाब देने वाला........और पूछा भी ऎसे जाता है मानो वे पचासों डिशेस बनाने में एक्सपर्ट हों....और जवाब भी ऐसे ही दिया जाता है जैसे उन पचासों व्यंजनों में से कुछ भी बना लो......और यदि कुछ व्यंजन विशेष का नाम भी ले लिया गया पतिदेव द्वारा.....तो उसमे तुरंत संशोधन करते हुए बता दिया जायेगा.....ये तो है ही नहीं....या पहले से बताना चाहिए था....ये बनाने में तो पहले से तैयारी करनी पड़ती है......या ये तुम्हे तो पसंद है..पर बच्चे मुह बनाएंगे....इसमें केलोरी बहुत ज्यादा होती है....ज्यादा ऑयली तुमको नुक्सान करेगा....आखिर में घूम फिर कर फिर वही बात कि ....कुछ भी बना लो....और फिर पत्नियां अपने मन का बना लेती है.....इस पर एक अहसान और हो जाता है कि अगर पति महोदय मुंह बनाएं....तो उनसे बड़ी मासूमियत से कहा जा सकता है.....आपसे पूछा तो था.....:( :( :(
कुछ अनकहे पल ..कुछ अनकही बातें ......कुछ अनकहे दर्द कुछ अनकहे सुख ......बहुत कुछ ऐसा जो सिर्फ महसूस किया .....किसी से बांटा नहीं . ...बस इतना ही .......
लिखिए अपनी भाषा में
Monday, September 1, 2014
क्या बनाऊँ ??
अभी अभी अपने एक फेसबुक मित्र श्री अरविन्द भट्ट जी का स्टेटस देखा....."आज क्या बनाऊँ " ??.उसी सिल सिले को आगे बढ़ाते हुए......कुछ लिखने को मन हो आया है....सचमुच ये दुनिया भर में पूछा जाने वाला ....और सच कहूँ तो सबसे ज्यादा पकाऊ प्रश्न है.....और जिसका जवाब भी बिलकुल निश्चित है जो १०० में से ९० पति अपनी पत्नियों के देते हैं....कुछ भी बना लो.....मतलब अहसान जताते हुए जैसे वो कुछ भी खा लेने को तैयार हैं.....बस पत्नी बना के दे दे.....जब कि अगर इसकी गहराई में जा के देखा जाये तो १०० में से ५० पत्नियां तो इस प्रश्न के प्रत्युत्तर में सुनना चाहती हैं....चलो आज कहीं बाहर चल के खाते हैं.......या बाहर से कुछ मंगवा लेते हैं......रोज रोज वही प्रश्न...रोज रोज वही जवाब..... ..ना पूछने वाला ऊबता है.....ना जवाब देने वाला........और पूछा भी ऎसे जाता है मानो वे पचासों डिशेस बनाने में एक्सपर्ट हों....और जवाब भी ऐसे ही दिया जाता है जैसे उन पचासों व्यंजनों में से कुछ भी बना लो......और यदि कुछ व्यंजन विशेष का नाम भी ले लिया गया पतिदेव द्वारा.....तो उसमे तुरंत संशोधन करते हुए बता दिया जायेगा.....ये तो है ही नहीं....या पहले से बताना चाहिए था....ये बनाने में तो पहले से तैयारी करनी पड़ती है......या ये तुम्हे तो पसंद है..पर बच्चे मुह बनाएंगे....इसमें केलोरी बहुत ज्यादा होती है....ज्यादा ऑयली तुमको नुक्सान करेगा....आखिर में घूम फिर कर फिर वही बात कि ....कुछ भी बना लो....और फिर पत्नियां अपने मन का बना लेती है.....इस पर एक अहसान और हो जाता है कि अगर पति महोदय मुंह बनाएं....तो उनसे बड़ी मासूमियत से कहा जा सकता है.....आपसे पूछा तो था.....:( :( :(
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Kya baat sahi pakda hai aapney smitaji aapney
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