ज़िंदगी के सफर में,
हम बहुत से लोगों से मिलते हैं..
.
उनमें से कुछ, हमारे अपने बन कर
दिल के करीब जगह बना लेते हैं..
और
कभी-कभी ऐसी भी, दुःखद परिस्थितियां
पैदा हो जाती हैं
कि सब कुछ करने के बावजूद,
बेहद प्रिय व्यक्ति भी
हमसे दूर हो ही जाता है......
मुझे लगता है
यदि ... संबंधों में ऊष्मा नहीं रही है
तो व्यवहारिकता वश
उसे निभाते जाना भी..
कम पीड़ा दायक नहीं होता.....
सूख कर भी
जुड़े रहने की पीड़ा से
टूट कर अलग हो जाने का कष्ट
शायद कम है....
बदलाव को स्वीकार करके,
जिंदगी के उस हिस्से की कहानी को
खत्म कर देना ही बेहतर होता है.....
बीते हुए सुख के क्षण
कम से कम यादों में तो
सदा हरे-भरे रहते हैं..... 😊😊😊